गीता ज्ञान: पंडित जी के जीवन का परिवर्तन
Shrimad Bhagwad Geeta Adhyaay 4 Krodh ka Upaay:- ब्रजभूषण जी उर्फ पंडित जी जब से गीता ज्ञान ब्लॉग लिखने लगे, उनके जीवन में कई बदलाव आए। हर बदलाव अच्छा हो, यह जरूरी नहीं, लेकिन उनके मामले में लगभग सभी परिवर्तन सकारात्मक ही रहे।
बचपन से गीता में रुचि
पंडित जी को बचपन से ही श्रीमद्भगवद गीता में गहरी दिलचस्पी थी। लेकिन जब उन्होंने ब्लॉग पर लिखना शुरू किया, तब से उन्होंने गीता के ज्ञान को असल जीवन में प्रयोग करना भी शुरू कर दिया। इससे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला।
Shrimad Bhagwad Geeta Adhyaay 4 Krodh ka Upaay
परिवार की सोच में मतभेद
हालाँकि, घर के हालात कुछ अलग थे। पंडित जी की पत्नी और उनके दो पढ़े-लिखे, अच्छी नौकरियों पर काम करने वाले बेटे थे। लेकिन जब बात पिता के अनुभवों को सुनने और मानने की आती, तो बेटों को उनकी सोच पुरानी लगती।
2020 का कठिन दौर
बात साल 2020 की है, जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी के कारण संकट में थी। लोगों के स्वास्थ्य और नौकरियाँ खतरे में थीं। हर कोई मानसिक तनाव से जूझ रहा था। पंडित जी के परिवार की भी यही स्थिति थी। उनकी पत्नी हर वक्त चिंता में रहतीं कि कहीं उनके परिवार में किसी को बीमारी न हो जाए।
अभिनव का बदलाव (Shrimad Bhagwad Geeta Adhyaay 4 Krodh ka Upaay)
लॉकडाउन के कारण उनका छोटा बेटा अभिनव घर लौट आया, क्योंकि उसके ऑफिस ने वर्क-फ्रॉम-होम की सुविधा दी थी। माँ ने उसकी इतनी देखभाल की मानो कोई वीआईपी घर पर आया हो।
इस बीच, पंडित जी के इनबॉक्स में लोगों के सवालों और दर्द भरी कहानियों की भरमार थी। किसी ने अपने प्रियजन को खो दिया था, तो कोई मानसिक शांति की तलाश में था।
धीरे-धीरे पंडित जी ने देखा कि अभिनव का व्यवहार बदलने लगा। वह झुंझलाने लगा, गुस्सा करने लगा, और खुद को कमरे में बंद रखने लगा। दिनभर उसके कमरे से मीटिंग की आवाजें आतीं, यहाँ तक कि वह खाना तक कमरे में ही मंगवाने लगा।
तनाव की पराकाष्ठा (Shrimad Bhagwad Geeta Adhyaay 4 Krodh ka Upaay)
एक दिन अभिनव के कमरे से तेज़ आवाज़ें आईं। पहले तो वह फोन पर चिल्ला रहा था, फिर कमरे में चीजें पटकने की आवाज़ें आने लगीं। जब पंडित जी और उनकी पत्नी ने दरवाज़ा खटखटाया, तो अभिनव ने गुस्से में उन्हें अपने मामले से दूर रहने को कहा।
बड़े बेटे से फोन पर चर्चा करने पर उसने भी यही कहा कि आजकल हर कोई तनाव में है, नौकरियों का दबाव बहुत ज्यादा है, और अभिनव को थोड़ा समय देने की जरूरत है।
पिता-पुत्र का भावनात्मक संवाद (Shrimad Bhagwad Geeta Adhyaay 4 Krodh ka Upaay)
एक रात, पंडित जी जब पानी पीने के लिए उठे, तो देखा कि अभिनव के कमरे की लाइट जल रही थी। झाँककर देखा तो उनका बेटा घुटनों में सिर दिए रो रहा था। यह देखकर पंडित जी से रहा नहीं गया और वे अंदर चले गए। उन्होंने प्यार से बेटे के सिर पर हाथ फेरा और पूछा कि क्या हुआ?
अभिनव फफक-फफक कर रो पड़ा। उसने कहा, “पापा, मेरे गुस्से ने सब खराब कर दिया। मुझे समझ नहीं आता कि मैं क्या करूँ।”
गीता का ज्ञान (Shrimad Bhagwad Geeta Adhyaay 4 Krodh ka Upaay)
पंडित जी ने प्यार से अभिनव के सिर पर हाथ फेरते हुए श्रीमद्भगवद गीता का एक श्लोक सुनाया:
“क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः। स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।”
(गीता – अध्याय 2, श्लोक 63)
अर्थ: क्रोध से मनुष्य की बुद्धि मारी जाती है, जिससे उसकी स्मृति नष्ट हो जाती है। स्मृति नष्ट होने से विवेक नष्ट हो जाता है, और विवेक नष्ट होने पर मनुष्य खुद का ही नाश कर बैठता है।
पंडित जी ने समझाया कि जीवन में सिर्फ ताकत से नहीं, बल्कि संयम से जीत होती है। गुस्से में इंसान अच्छा-बुरा सोचने की शक्ति खो देता है, और कई बार ऐसा कदम उठा लेता है जिससे केवल पछतावा ही हाथ लगता है।
समाधान की राह (Shrimad Bhagwad Geeta Adhyaay 4 Krodh ka Upaay)
अभिनव ने उदास स्वर में पूछा, “पापा, लेकिन मैं अपने गुस्से पर काबू कैसे पाऊँ?”
पंडित जी ने मुस्कराकर कहा, “जिस तरह तुम अपने बाकी काम करते हो, उसी तरह अपने दिमाग को यह संदेश दो कि चाहे कैसी भी स्थिति हो, अपना आपा नहीं खोना है। दूसरों की जगह खुद को रखकर देखने की आदत बनाओ। और यदि किसी ने कुछ गलत कर दिया हो, तो गुस्से की बजाय शांति और धैर्य से उसे समझाने की कोशिश करो।”
जीवन में बदलाव की शुरुआत
अभिनव जानता था कि वह एक दिन में खुद को नहीं बदल सकता, लेकिन उसने ठान लिया कि गीता के श्लोक और उनके अर्थ को अपनाकर हर दिन बेहतर बनने की कोशिश करेगा।
सबसे पहले, उसने अपनी माँ से माफी माँगी, क्योंकि जाने-अनजाने उसने कई बार उनका दिल दुखाया था। फिर उसने खुद से यह वादा किया कि वह अपने गुस्से को काबू में रखना सीखेगा।
पंडित जी ने मन ही मन भगवान श्रीकृष्ण और श्रीमद्भगवद गीता को प्रणाम किया और आभार जताया कि हर कठिन परिस्थिति में उन्होंने सही राह दिखाई।
निष्कर्ष (Shrimad Bhagwad Geeta Adhyaay 4 Krodh ka Upaay)
अगर हम गीता के ज्ञान को अपने जीवन में उतारें, तो हमारी कई समस्याएँ खुद-ब-खुद हल हो सकती हैं। क्रोध को नियंत्रण में रखना सीखना ही असली जीत है, क्योंकि यह हमारे जीवन को बेहतर और खुशहाल बनाता है।
क्या आप भी अपने जीवन में गीता के इस ज्ञान को अपनाने के लिए तैयार हैं?
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